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अपनी भी लाचारी है / रंजना वर्मा

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अपनी भी लाचारी है
जीने की तैयारी है

साथ नहीं कुछ जायेगा
फिर क्यों गठरी भारी है

सिर्फ़ दुआएँ है देता
कैसा अजब भिखारी है

सपने है बेचा करता
पर पूरा व्यापारी है

वादे नहीं निभा पाता
फिर भी उस से यारी है

ऐ हमदम ! हमराही बन
यह इल्तिज़ा हमारी है

क्यों हो यों चुपचाप खड़े
ऐसी क्या दुश्वारी है

खाली पेट रहा सोया
गुरबत है बेकारी है

करता है मन्दा धन्धा
पर नौकर सरकारी है