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अपनों से युद्ध / इंदुशेखर तत्पुरुष
Kavita Kosh से
अपनों से युद्ध अन्ततः
अपने आप से युद्ध होता है जिसमें
तैयार करना होता है स्वयं को
एक हृदयविदारक बंटवारे के लिए।
एक हिस्सा धारदार
निरंतर आक्रामक मुद्रा में
दूसरा उसी के बचाव में जिसके साथ
आप होते हैं युद्धरत।
एक ओर होती अंहकार की
हठीली सत्ता
दूसरी ओर प्रेम को समर्पित
निहत्थी जनता।