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अब मरो / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा

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मैं हूँ, मुझसे डरो
बोलो मत, सिर्फ सुनो

देखो मत, सिर्फ चलो
मंजि़ल मैं, रास्ता मैं

पाँव तुम्हारे, पर सोच मेरी
तुम, कहे पर अमल करो

मैं कहूँ वो करो
मैं चाहूँ तब तक जीओ
मैं चाहूँ तो मरो

मरो, पर ठहरो
मैं बताता हूँ, किस तरह मरो