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अमीरों की तारीफ़ में / मरीना स्विताएवा / विनोद दास

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और हाँ ! मैं पहले ही साफ़ कर दूँ
मैं जानती हूँ कि हमारे बीच मीलों दूरी है
और मैं ख़ुद को आवारा समझती हूँ
हालाँकि इस दुनिया में मेरी जगह एक ईमानदार शख़्स की है।

तमाम ज़्यादतियों की पहियों के नीचे से
शैतानों, लूलों-लंगड़ों और कूबड़ों की मेज़ से
गज़र की मीनार के ऊँचे बुर्ज़ से
मैं यह ऐलान करती हूँ : मैं अमीरों से प्यार करती हूँ।

उनके सड़े-गले और कमज़ोर जड़ों के लिए
बचपन के पालने में मिले घावों के लिए
उनके खोए-खोए से हाथों के लिए
जो बेचैनी से उनकी जेब में जाते है और बाहर निकलते हैं

जिस तरह उनके कोमल लफ्ज़ों की तामील
चिल्लाकर हुक़्म की तरह होती है
क्योंकि उन्हें जन्नत में जाने नहीं दिया जाएगा
चूँकि वे सीधे आँख में आँख डालकर नहीं देखते

चूँकि उनके ख़ुफ़िया राज़ों को पहुँचाने के लिए हमेशा हरकारें होते हैं
और कामेच्छा का पैगाम पहुँचाने के लिए हमेशा लड़के होते हैं
खुद पर थोपी गई रातों में
जबरन वे चुम्बन लेते हैं और शराब पीते हैं

और फिर अपने बही खातों में, अपनी उकताहटों में
मुलम्मा चढ़े अपने सोने में, अपनी उबासियों में,
रुई के अपने गद्दों में रहते हुए
वे मुझे नहीं ख़रीद सकते। मैं बेहद बेहया हूँ
मैं फिर तस्दीक़ करती हूँ : मैं अमीरों से प्यार करती हूँ।

सफाचट चिकने चेहरे के बावजूद
अच्छी तरह खाए-पिए अघाए होने के बावजूद (आँखें मारने और उनकी शाहखर्ची के बावजूद )
कुछ वज़हों से उनमें आ जाती है पस्तगी
कुछ वज़हों से हो जाती है नामाकूल कुत्ते की तरह उनकी नज़र

शक होता है
हो सकता है कि उनका तराजू बुनियादी तौर से सिफ़र हो
उनके बटखरे कोई खेल खेल रहे हों
मैं कहती हूँ कि संसार के सभी जलावतनों में
उनके जैसा कोई अभागा अनाथ नहीं है

एक बेहूदी लोककथा है
जिसमें एक ऊँट सुई की छेद से होकर बाहर निकल जाता है
यह कैसी सोच है जो मौत पर हैरान होती है
मगर बीमारी के लिए मुआफ़ी माँगती है
मानो वे अचानक दिवालिया हो गए
सिले लबों की ख़ामोशी के लिए
मैं बाख़ुशी उन्हें लफ़्ज़ उधार देने को तैयार हूँ
मैंने सोने के भाव की तरह उन्हें गिना है और फिर मैं भी उनमें से हूँ
इन सभी चीज़ों के लिए
मैं क़सम खाकर कहती हूँ : मैं अमीरों से प्यार करती हूँ।
  
अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास