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आकार / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा

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आज अभी
सदियों से बन्द पड़े किवाड़ खोलो
अम्बर से बरस रहा है अमृत पी लो
जब तक जीवन है जी लो
जीवन में सारे रंग भर लो

उठो जैसे आसमान
उड़ो जैसे पंछी
चलो जैसे नदी

हो जाओ जैसे मीरा
और कहो, जैसे कहा उसने 'प्रेम दीवानी’