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आख़िरी जाम / निकानोर पार्रा / प्रचण्ड प्रवीर
Kavita Kosh से
चाहे हम मानें या न मानें
हमारे पास केवल तीन विकल्प हैं :
कल, आज और कल
और ये तीन भी नहीं
क्योंकि सुधीजन कहते हैं
कल जो कल है
अब हमारी स्मृति में ही है
एक उखड़े हुए गुलाब से
और पँखुड़ियाँ नहीं निकाली जा सकतीं
जिन पत्तों से बाज़ी होगी
वे केवल दो ही हैं :
वर्तमान और भविष्य
और ये दो भी नहीं हैं
क्योंकि यह माना हुआ तथ्य है
कि वर्तमान कहीं नहीं है
सिवाय बीतते समय की धार पर
और यह खप जाता है—
यौवन की तरह
अन्त में
हमारे पास केवल
आने वाला कल रह जाता है
मैं अपना प्याला उठाता हूँ
उस दिन के लिए
जो कभी नहीं आता
लेकिन यही सब कुछ है
जो हमारे पास है विधान के लिए
अँग्रेज़ी से अनुवाद : प्रचण्ड प्रवीर