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आग, सभ्यता, चाय और स्त्रियाँ / विमलेश त्रिपाठी

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सदियों पहले आग के बारे में
जब कुछ भी नहीं जानते थे लोग
तब चाय के बारे में भी
उनकी जानकारी नहीं थी
स्त्रिायाँ नहीं जानती थीं
चाय की पत्तियाँ चुनना
और आँसुओं के खामोश घूँट
बून्द-बून्द पीना भी
ठीक से नहीं मालूम था उन्हें
पिफर कुछ दिन गुजरे
और आग की खोज की किसी मनुष्य ने
और ऐसे ही सभ्यता के किसी चौराहे पर
बहुत कुछ को पीने के साथ
उसे चाय पीने की तलब लगी
तब तक आग से
स्त्रिायों की घनिष्ठ रिश्ता बन गया था
और सीख लिया था स्त्रिायों ने
अपने नरम हाथों से पत्तियाँ चुनना
तब तक सीख लिया था
स्त्रिायों ने
किवाड़ों की ओट में
चाय की सुरकी के साथ
बून्द-बून्द नमकीन
ओर गरम आँसू चुपचाप पीते जाना