भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आग लगाने वाले आग लगाते हैं / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
आग लगाने वाले आग लगाते हैं
किन्तु बुझाने वाले उसे बुझाते हैं
रेगिस्तानों में भी फूल खिलाते हैं
अच्छे लोग इसी से जाने जाते हैं
नफ़रत फैलाने वालों का काम वही
प्यार लुटाने वाले प्यार लुटाते हैं
पतझर का या फिर बसन्त का मौसम हो
मुस्काने वाले हर पल मुस्काते हैं
सुख के गर हमसफ़र बनो तो दुख के भी
साथ निभाने वाले साथ निभाते हैं
दुनिया के वास्ते नज़ीर वही बनते
तूफ़ानों में भी जो दिये जलाते हैं