भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आज- मैं एक मुस्कान खरीदने आई हूँ / एमिली डिकिंसन
Kavita Kosh से
आज- मैं एक मुस्कान खरीदने आई हूँ-
बस एक मुस्कान -
तुम्हारे चेहरे की सबसे छोटी मुस्कान भी
मेरे लिये पर्याप्त होगी-
वह जो इतनी कम चमके-
कि किसी और को उसका अभाव न खले,
महाशय, मैं 'काउंटर' पर खड़ी
अनुरोध कर रहीं हूं -
क्या आप बेचने का सामर्थ्य रखते हैं-
मेरी उँगलियों में- हीरे हैं-
आप जानते भी हैं हीरे क्या होते हैं ?
मेरे पास लाल हैं- शाम की लाली की तरह-
और पुखराज- तारे की तरह !
एक यहूदी के लिये यह 'लाभकारी सौदा' होगा!
बताइए- महाशय- क्या मैं इसे ले सकती हूँ ?
अँग्रेज़ी से अनुवाद : क्रांति कनाटे