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आज की रात है उदास बहुत / डी. एम. मिश्र
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आज की रात है उदास आज बहुत
गर्म मौसम है लगी प्यास बहुत
हाथ से उसको छू नहीं सकता
उसकी खुशबू है मगर पास बहुत
सामने कुछ भी नहीं कहता है
यूँ लगाता है वो कयास बहुत
गाँव का हाल बहुत खस्ता है
शहर का हो रहा विकास बहुत
आँख के सामने अँधेरा है
दिल की बस्ती में है उजास बहुत
यूँ तो रिश्ते में कुछ नहीं लगता
अजनबी हो के भी वो ख़ास बहुत