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आज मुद्दत में वो याद आए हैं / जाँ निसार अख़्तर

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आज मुद्दत में वो याद आये हैं
दरोदीवार पे कुछ साए हैं

आबगीनों से न टकरा पाए
कोहसारों से जो टकराए हैं

जिंदगी तेरे हवादिस हम को
कुछ न कुछ राह पे ले आये हैं

इतने मायूस तो हालात नहीं
लोग किस वास्ते घबराए हैं

उनकी जानिब न किसी ने देखा
जो हमें देख के शर्माए हैं

संगरेज़ों से खज़फ़ पारों से
कितने हीरे कभी चुन लाये हैं