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जाँ निसार अख़्तर-एक जवान मौत / जाँ निसार अख़्तर
Kavita Kosh से
जाँ निसार अख़्तर-एक जवान मौत
रचनाकार | जाँ निसार अख़्तर |
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प्रकाशक | वाणी प्रकाशन |
वर्ष | 1999 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 118 |
ISBN | |
विविध | निदा फ़ाज़ली द्वारा संपादित |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं / जाँ निसार अख़्तर
- हरेक रूह में इक ग़म छुपा लगे है मुझे / जाँ निसार अख़्तर
- आज मुद्दत में वो याद आए हैं / जाँ निसार अख़्तर
- आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो / जाँ निसार अख़्तर
- वो लोग ही हर दौर में महबूब रहे हैं / जाँ निसार अख़्तर
- मौजे गुल, मौजे सबा, मौजे सहर लगती है / जाँ निसार अख़्तर
- हम से भागा न करो दूर गज़ालों की तरह / जाँ निसार अख़्तर
- एक तो नैनां कजरारे और तिस पर डूबे काजल में / जाँ निसार अख़्तर
- ज़रा सी बात पे हर रस्म तोड़ आया था / जाँ निसार अख़्तर
- जब लगे ज़ख्म तो क़ातिल को दुआ दी जाए / जाँ निसार अख़्तर
- हम ने काटी हैं तेरी याद में रातें अक़्सर / जाँ निसार अख़्तर
- फुर्सतेकार फ़क़त चार घड़ी है चारो / जाँ निसार अख़्तर
- अश्आर मिरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं / जाँ निसार अख़्तर
- रही है दाद तलब उनकी शोखियाँ हम से / जाँ निसार अख़्तर
- ज़िन्दगी ये तो नहीं, तुझको सँवारा ही न हो / जाँ निसार अख़्तर
- ज़माना आज नहीं डगमगा के चलने का / जाँ निसार अख़्तर
- तमाम उम्र की नज्ज़ारगी का हासिल है / जाँ निसार अख़्तर
- चौंक-चौंक उठती है महलों की फ़ज़ा रात गए / जाँ निसार अख़्तर
- आए क्या क्या याद नज़र जब पड़ती उन दालानों पर / जाँ निसार अख़्तर
- वो लोग जो दीवान ए आदाबे वफ़ा थे / जाँ निसार अख़्तर
- ज़ुल्फ़ें सीना नाफ़ कमर / जाँ निसार अख़्तर
- इसी सबब से हैं शायद अजाब जितने हैं / जाँ निसार अख़्तर
- उफ़ुक़ अगरचे पिघलता दिखाई पड़ता है / जाँ निसार अख़्तर
- तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता है / जाँ निसार अख़्तर
- हरेक शख्स परेशानो दरबदर सा लगे / जाँ निसार अख़्तर
- रुख़ों के चाँद लबों के गुलाब माँगे है / जाँ निसार अख़्तर
- ये ज़िंदगी मुझे खुलती हुई किताब लगे / जाँ निसार अख़्तर
- बहुत दिल करके होंठों की शगुफ़्ता ताज़गी दी है / जाँ निसार अख़्तर
- इश्क़ खूनाबा फ़िशानी जो नहीं तो क्या है / जाँ निसार अख़्तर
- दीद ओ दिल में कोई हुस्न बिखरता ही रहा / जाँ निसार अख़्तर
- इन्कलाबों की घड़ी है / जाँ निसार अख़्तर
- शेरों फ़न की सजी है नई अंजुमन / जाँ निसार अख़्तर
- जुनूने शहर नवर्दी ने क्या दिया है मुझे / जाँ निसार अख़्तर
नज़्में
- ख़ामोश आवाज़ / जाँ निसार अख़्तर
- महकती हुई रात / जाँ निसार अख़्तर
- इक ज़ख्मे तमन्ना और सही / जाँ निसार अख़्तर
- बेज़ारी / जाँ निसार अख़्तर
- तजज़िया / जाँ निसार अख़्तर
- ख़ाक-ए-दिल / जाँ निसार अख़्तर
- आख़िरी मुलाक़ात / जाँ निसार अख़्तर
- आख़िरी लम्हा / जाँ निसार अख़्तर
घर-आँगन (रुबाइयाँ)
- वो आयेंगे चादर तो बिछा दूँ कोरी / जाँ निसार अख़्तर
- आहट मेरे कदमों की जो सुन पाई है / जाँ निसार अख़्तर
- दुनिया की उन्हें लाज न गैरत है सखी / जाँ निसार अख़्तर
- मन था भी तो लगता था पराया है सखी / जाँ निसार अख़्तर
- नाराज़ अगर हो तो बिगड़ लो मुझ पर / जाँ निसार अख़्तर
- वो शाम को घर लौट के आएँगे तो फिर / जाँ निसार अख़्तर
- डाली की तरह चाल लचक उठती है / जाँ निसार अख़्तर
- चाल और भी दिल-नशीन हो जाती है / जाँ निसार अख़्तर
- तू देश के महके हुए आँचल में पली / जाँ निसार अख़्तर
- सीने पे पड़ा हुआ ये दोहरा आँचल / जाँ निसार अख़्तर
- कपड़ों को समेटे हुए उट्ठी है मगर / जाँ निसार अख़्तर
- कहती है इतना न करो तुम इसरार / जाँ निसार अख़्तर
- हर सुबह को गुंचे में बदल जाती है / जाँ निसार अख़्तर
- गाती हुई हाथों में ये सिंगर की मशीन / जाँ निसार अख़्तर
- नज़रों से मेरी खुद को बचाले कैसे / जाँ निसार अख़्तर
- हर एक घड़ी शाक़ गुज़रती होगी / जाँ निसार अख़्तर
- इक बार गले से उनके लगकर रो ले / जाँ निसार अख़्तर
- पानी कभी दे रही है फुलवारी में / जाँ निसार अख़्तर
- तेरे लिये बेताब हैं अरमाँ कैसे / जाँ निसार अख़्तर
- आँगन में खिले गुलाब पर जा बैठी / जाँ निसार अख़्तर
- अब तक वही बचने की सिमटने की अदा / जाँ निसार अख़्तर
- दरवाजे की खोलने उठी है ज़ंजीर / जाँ निसार अख़्तर
- क्यों हाथ जला, लाख छुपाए गोरी / जाँ निसार अख़्तर
- चुप रह के हर इक घर की परेशानी को / जाँ निसार अख़्तर
- जज़्बों की गिरह खोल रही हो जैसे / जाँ निसार अख़्तर
- हर रस्मो-रिवायत को कुचल सकती हूँ / जाँ निसार अख़्तर
- रहता है अजब हाल मेरा उनके साथ / जाँ निसार अख़्तर
- वो ज़िद पे उतर आते हैं अक्सर औक़ात / जाँ निसार अख़्तर
- इक रूप नया आप में पाती हूँ सखी / जाँ निसार अख़्तर
- जब तुम नहीं होते तो जवानी मेरी / जाँ निसार अख़्तर
- अच्छी है कभी-कभी की दूरी भी सखी / जाँ निसार अख़्तर
- बाहर वो जहाँ भी काम करते होंगे / जाँ निसार अख़्तर
- वो बढ़के जो बाँहों में उठा लेते हैं / जाँ निसार अख़्तर
- मैं वो ही करूँ जो वो कहें वो चाहें / जाँ निसार अख़्तर
- वो दूर सफ़र पे जब भी जाएँगे सखी / जाँ निसार अख़्तर
- जब जाते हो कुछ भूल के आ जाते हो / जाँ निसार अख़्तर
- आती है झिझक सी उनके आगे जाते / जाँ निसार अख़्तर
- खुद हिल के वो क्या मजाल पानी पी लें / जाँ निसार अख़्तर
- देखेंगे और जी में कुढ़ के रह जाएँगे / जाँ निसार अख़्तर
- इक पल को निगाहों से तो ओझल हो जाऊँ / जाँ निसार अख़्तर
फिल्मों के गीत
- आ जाने वफ़ा आ / जाँ निसार अख़्तर
- कब तेरे हुस्न से इन्कार किया है मैंने / जाँ निसार अख़्तर
- ये दिल और उनकी निगाहों के साए / जाँ निसार अख़्तर
- गरीब जान के हम को न तुम मिटा देना / जाँ निसार अख़्तर
- तुम महकती जवाँ चाँदनी हो / जाँ निसार अख़्तर
- बेकसी हद से जब गुज़र जाए / जाँ निसार अख़्तर
- बेमुरव्वत बेवफ़ा बेगान ए दिल आप हैं / जाँ निसार अख़्तर
- धरती हँसती रे / जाँ निसार अख़्तर
- झूठी तसल्लियों की ज़रूरत नहीं रही / जाँ निसार अख़्तर