भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं / जाँ निसार अख़्तर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं
देखना ये है कि अब आग किधर लगती है

सारी दुनिया में गरीबों का लहू बहता है
हर ज़मीं मुझको मेरे खून से तर लगती है