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जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं / जाँ निसार अख़्तर
Kavita Kosh से
जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं
देखना ये है कि अब आग किधर लगती है
सारी दुनिया में गरीबों का लहू बहता है
हर ज़मीं मुझको मेरे खून से तर लगती है