भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज ही तो हुआ था / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज ही तो हुआ था
मेरा जन्म
अरसठ वर्ष पूर्व।

तब से आज तक
बराबर जिया
और आगे भी
दीर्घ काल तक जियूँगा
कि जब मरूँ
तो संसार को सँवारते-सँवारते मरूँ,
सँवारने का सुख
भोगते-भोगते मरूँ।

रचनाकाल: ०१-०४-१९७८