भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आदमी देवता नही होता / डी. एम. मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आदमी देवता नही होता
पाक दामन सदा नही होता।

कब , कहाँ, क्या गुनाह हो जाये
ये किसी को पता नहीं होता।

आदमी आसमान छू सकता
वक़्त से , पर बड़ा नहीं होता।

काम का बस जुनून चढ़ जाये
उससे बढ़कर नशा नहीं होता।

टूटकर हम बिखर गये होते
साथ गर आपका नहीं होता।

जब तलक आँख नम न हो जाये
हक़ ग़ज़ल का अदा नहीं होता ।