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आदमी देवता नही होता / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
आदमी देवता नही होता
पाक दामन सदा नही होता।
कब , कहाँ, क्या गुनाह हो जाये
ये किसी को पता नहीं होता।
आदमी आसमान छू सकता
वक़्त से , पर बड़ा नहीं होता।
काम का बस जुनून चढ़ जाये
उससे बढ़कर नशा नहीं होता।
टूटकर हम बिखर गये होते
साथ गर आपका नहीं होता।
जब तलक आँख नम न हो जाये
हक़ ग़ज़ल का अदा नहीं होता ।