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आपसे मेरी हुई जब प्रीत है / बाबा बैद्यनाथ झा
Kavita Kosh से
आपसे मेरी हुई जब प्रीत है।
बज रहा मन में सदा संगीत है।
साथ में अब आप भी गाने लगे,
तो समझ लें प्यार की यह जीत है।
एकतरफ़ा प्रेम तो टिकता नहीं,
टूटना तब लाज़िमी, यह रीत है।
फ़िक्र वह हर बात की अब क्यों करे,
साथ में जिसके सदा मनमीत है।
गीत ग़ज़लों की जहाँ महफ़िल सजे
ग्रीष्म का भी ताप 'बाबा' शीत है।