भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आसमां बिजलियों से जो डर जायेगा / अश्वनी शर्मा
Kavita Kosh से
आसमां बिजलियों से जो डर जायेगा
फिर ये भोलू का बेटा किधर जायेगा।
नींद में करवटें जुर्म एलानिया
जुर्म किसने किया किसके सर जायेगा।
जो बताया सलीके में क्या ख़ामियां
एक अहसान सर से उतर जायेगा।
ज्ञान पच ना सका वो कर उल्टियां
जैसे बू से ये गुलशन संवर जायेगा।
गालियां, प्यालियां, कुछ बहस, साज़िशें
गर ये सब ना मिला वो पसर जायेगा।
मुंह को खोलो, नहीं, कसके सर ढांप लो
है ये तूफान लेकिन गुजर जायेगा।
फालतू सब हुकूमत, निज़ामत, बहस
गर ये भोलू का बेटा ही मर जायेगा।