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इस बारिश में / प्रेमशंकर रघुवंशी
Kavita Kosh से
आकाश की सेज पर
सूरज को
अपनी लटों से ढाँके बदरिया
बेसूद बरस रही है
आओ! इस बारिश में
प्यार की छतरी तले
अपने आकाश की सेज तक
ले चलूँ तुम्हें !!