उन्नत सदा रहेगा मेरी भारत माँ का भाल / रंजना वर्मा
उन्नत सदा रहेगा मेरी भारत माँ का भाल
नित्य रहे उस की रक्षा में, उसका हर इक लाल
छद्म वेश में सीमा पर आ , वैरी करे प्रहार
शव के अंग भंग कर चलता, नित्य घिनौनी चाल
सिंहवाहिनी अब तो हो जा, अपने सिंह सवार
मुक्त म्यान से कर दे मैया, अब तो खड्ग निकाल
सुरसा सी मंहगाई बढ़ती, ज्यों सरयू की बाढ़
आमदनी जैसे चुटकी भर, जीना हुआ मुहाल
पैसे वालों की मत पूछो, करते नित्य विलास
जनता भूखी मरती जाये, नित होती कंगाल
कोई आकर अश्रु पोंछ दे, करो न ये उम्मीद
करना है संघर्ष हमेशा, जीना है हर हाल
श्याम सलोने की राधा को, आती जब जब याद
विरह अगन जल जाती ऐसे , हो जाती बेहाल
कलियाँ खिलतीं तिनके तिनके, हरियाली का राज
सूखे पत्र नहीं हरियाते, रहता हृदय मलाल
स्वर्ग सरीखा देश हमारा, रखो कृपा की दृष्टि
द्वार तुम्हारे प्रभु जो आया, हो कर गया निहाल