जीवन का दर्पण देखा है।
विरहन मन हर्षित हो नाचे,
घर आए साजन देखा है।
उमड़-घुमड़ कर आई खुशियाँ,
सपना मन भावना देखा है।
जीवन के मुश्किल पल में भी,
हँसता घर आँगन देखा है।
रूठा बचपन बिहस रहा है,
थाली में भोजन देखा है।
जीवन का दर्पण देखा है।
विरहन मन हर्षित हो नाचे,
घर आए साजन देखा है।
उमड़-घुमड़ कर आई खुशियाँ,
सपना मन भावना देखा है।
जीवन के मुश्किल पल में भी,
हँसता घर आँगन देखा है।
रूठा बचपन बिहस रहा है,
थाली में भोजन देखा है।