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उसका पावन मन देखा है / मृदुला झा

Kavita Kosh से
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जीवन का दर्पण देखा है।

विरहन मन हर्षित हो नाचे,
घर आए साजन देखा है।

उमड़-घुमड़ कर आई खुशियाँ,
सपना मन भावना देखा है।

जीवन के मुश्किल पल में भी,
हँसता घर आँगन देखा है।

रूठा बचपन बिहस रहा है,
थाली में भोजन देखा है।