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एक-रूप आनंद-मय, श्री राधा-ब्रजचंद / शृंगार-लतिका / द्विज

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दोहा
(श्रीराधा-माधव की एकरूपता-वर्णन)

एक-रूप आनंद-मय, श्री राधा-ब्रजचंद ।
करत बिबिध-लीला-ललित, जेहिं न जान स्रुति-छंद ॥३७॥