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एक कमरा, एक उद्देश्य और एक इंटलेक्चुअल स्त्री / पारिजात / सुमन पोखरेल

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हवा की विपरीत दिशा की तरफ खुला हुआ खिड़की
एक साधारण टेबल
जीवन का प्रतिबिंब स्वरूप एक आइना
काजल, पाउडर, क्रीम और आइब्रो-पेंसिल
बौद्धिकता से रिश्ते बनाने के लिए रखे गए
एक अंग्रेजी उपन्यास और कुछ दैनिक अखबार
यह एक इंटलेक्चुअल स्त्री का कमरा है।

अभी अभी गप्पों का खत्म होने की उष्णता में
बॉयफ्रेंड्स की यादों के चिन्ह स्वरूप
यहाँ-वहाँ बिखरी हुई हैं
चाय के खाली कप और सिगरेट के टुकड़े
नेपाली चटाई
उसके पार सीमाबद्ध शतरंजी
आदर्श की सीमा लांघ न पाने के बावजूद
चटाई की सीमा लांघ कर
बॉयफ्रेंड्स कभी-कभी बिछौने तक पहुँच जाते हैं
सदैव असंतोष के सपने को ढोकर रहने वाले
मुलायम तकियों के साथ लेट जाते हैं।

इस कमरे के भीतर एक घबराहट है
एक बेचैनी है
झाँसी की रानी, जोन ऑफ आर्क और मैडम क्यूरी की यादें
समाज, उद्देश्य और स्थिति के साथ मेल न खा पाने पर
प्रतिक्रिया की तरह हँस रहे होते हैं
जाने, कहाँ कहाँ हैं कृष्ण की राधा
राम की सीता, मनु की पूज्या
यहाँ तो उसका श्रम ने
एक कठोर जीवनवृत्ति अपना चुका है
यहाँ तो उसकी थकी हुई पसीने की बूँदें
जमानत पर बैठी हुई है
एक ग्रेजुएट के पे स्केल के तहत
महीने के अंत में आने वाले
एक मुट्ठी कागज के दामों के लिए ।

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