भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक तात्कालिक ट्रेन की योजना / निकानोर पार्रा / श्रीकान्त दुबे
Kavita Kosh से
(सान्तियागो और पुएर्तो मोंत के बीच)
तत्काल की उस ट्रेन में
इंजन खड़ा होगा गंतव्य (मोंत पुएर्ता) पर
और उसकी आख़िरी बोगी
सफ़र के प्रस्थान बिन्दु (सान्तियागो) में होगी
इस ट्रेन का फ़ायदा यूँ होगा
कि यात्री पुएर्तो मोंत ठीक उसी क्षण पहुँच जाएगा
जब वह चढ़ेगा सान्तियागो में
ट्रेन की आख़िरी बोगी में
आगे सिर्फ़ इतना करना होगा
कि ट्रेन के भीतर ही टहलना होगा
साजो-सामान के साथ
जब तक कि पहली बोगी न आ जाए
एकबार इस प्रक्रम के पूरा हो जाने पर
उतरा जा सकेगा ट्रेन से
जो कि हिली तक नहीं है
पूरे सफ़र में
नोट :-- इस तरह की ट्रेन
बस, एक ही ओर की यात्रा के लिए होगी।
मूल स्पानी भाषा से अनुवाद : श्रीकान्त दुबे