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एक तूफान का सामान बनी है कोई चीज़ / 'महताब' हैदर नक़वी
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एक तुफान का सामान बनी है कोई चीज़
ऐसा लगता है कहीं चूट गयी है कोई चीज़
सबको इक साथ बहाये लिये जाता है ये सैल
वो तलातुम है कि अच्छी न बुरी है कोई चीज़
एक मैं क्या कि मह-ओ-साल उड़े जाते हैं
ऐ हवा! तुझको ज़माने में बची है कोई चीज़
इश्क़ ने ख़ुद रुख़-ए-गुलनार को बख़्शा है फ़रोग
वरना कब अपने बनाये से बनी है कोई चीज़
यानी ज़ख़्मों के गुलिस्ताँ पे बहार आयी कभी
यानी मेरी शुफ़्तासरी है कोई कोई चीज़
शायरी क्या है मुझे भी नहीं मालूम मगर
लोग कहते हैं कि ये दिल की लगी है कोई चीज़