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एक प्रश्न / जगदीश गुप्त

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यह हँसी-आँसू, उदासी-मुस्कराहट,
क्या सभी अवसान के आते पदों की क्षीण आहट ?
सामने है मौत की काली, खड़ी दीवार,
क्या इसी भय से उपजता हर हृदय में प्यार ?