एक भजन सुणाऊं सै तो बांग बगोला / अमर सिंह छाछिया
एक भजन सुणाऊं सै तो बांग बगोला।...टेक
जो ध्यान लगा कै सुणैगा उसकै समझ म्हं आवैगा।
जो ऊपर नै मुंह बावैगा वो ठोकर खान्दा जावैगा।
घरां बुझैंगे तो वो उन्हैं नै के बतलावैगा।
वोट मांगण आया सै यो के बोरी ठुवावैगा।
इसे-इसे माणस ए का हो दर्शनां म्हं भी तोड़ा...
यो कित के वोट देवै था दूसरां नै और सिखावैगा।
जो इसकी भका म्हं आग्या तो वो भी खता खावैगा।
जय भीम और जय भारत के जो भी नारे लावैगा।
देख लियो प्रधानमंत्री कांशीराम ए आवैगा।
सभी बिजनस होगी सस्ती नारहै क्याहें का तोड़ा...
देख लियो भाइयो रै बख्त फेर ना थ्यावैगा।
सांप लिकड़जा पिटै लीक नै फेर पाछै पिछतावैगा।
चाहे किते जाकै देख लियो जोर इसे का पावैगा।
ढंग तो इसा ए लागै यो सारै जीत के आवैगा।
पड़ै वोट लगी लैन चला धणी बीर का जोड़ा...
जो टक्कर म्हं आवैगा वो टोह्या नहीं पावैगा।
जाणकार हो उसका वो ऐ पता लगावैगा।
के टोकै नै करोगे वो थामनै और फंसावैगा।
उसनै घोटाले कर राखे वो के बख्सा जावैगा।
डंडा बेड़ी घलै हथकड़ी यो कई करोड़ का रोला...
देखे सांड होऐ रमान्ड लम्बे वे पाये थे।
जैसे काम करे उनै नै उनके आगे आये थे।
जुल्म सहन होया नहीं उनके चलाण कटाये थे।
मजिस्टेट कै होये पेश जद याद घर के आये थे।
अमरसिंह जेल म्हं न्यू देखै जणूं बान्दर कै गेल यो बोला...।