ए दिलबर दिल कर दीवाना। अब कैसा घाई बतलाना॥टेक॥
पहिले मन्द-मन्द मुसुक्याना, अजीब भोलापन दिखलाना,
मीठी बातों में बहलाना, फन्द फिरेबों में फुसलाना।
बाकी बनक दिखाय लुभाना, प्यारी सूरत पर ललचाना,
गालों में जुल्फ़ें छितराना, काले नागों से डसवाना॥
एक बोल पर सौ बल खाना, एक बोसे पर लाख बहाना,
भौंह कमान तान सतराना, नाक सकोड़ मुकड़ मुड़ जाना॥
श्री बदरीनारायन माना, हम में ये ढंग माशूकाना,
पर इतना भी हाय सताना, ख़ौफे खुदा दिल में नहि ल्याना॥13॥