भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ऐंगनों के छै दोष / विजेता मुद्‍गलपुरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऐंगनों के छै दोष, दोष नाचैयो के छै
दोष किताबो के छै, दोष पढ़ैयो के छै

पढ़ल लिखल दुनिया अब ओकरे मानै छै
टेढ़ो-मेढ़ो जे अंग्रेजी जानै छै
बिना मिलावट के अब केकरो चैन कहाँ छै
हिन्दी में अंग्रेजी भाषा सानै छै
समझै के छै दोष, दोष सोचैयो के छै
अंग्रेजी इसकूल जहाँ के फोकस शिक्षा
बाहर से छै टीप-टोप देखै में अच्छा
जल अखनी तक थल सूझै छै दुर्योधन के
फेर द्रोपदी के होय छै हँस्सै के इच्छा
दुर्योधन के दोष, दोष हँस्सैयो के छै

सरकारी विद्यालय के शिक्षक अधिकारी
नेता, ठीकेदार, अफसर, सम्पन्न, व्यापारी
सब के बच्चा अंग्रेजी इसकूल में दाखिल
सरकारी इसकूल जहाँ छै फाँकी मारी
दोष मास्टर के छै दोष समैयो के छै

लड़का घर में माय-बाप के डाँटै छै
इसकूल में शिक्षक के माथा चाटै छै
तम्बाकू, सिगरेट, सिनेमा, फैसन छै
तस्वीर हिरोइन के किताब पर साटै छै
दोष चलन के भी छै दोष चलैयो के छै

फूटपाथ पर डिगरी गाजर सन बिक्कै छै
एहन तरक्की केकरो कॉपी कोय लिख्खै छै
शिक्षा में साले-साले संसोधन होय छै
खूब तरक्की सिर्फ कागजे पर दिख्खै छै
व्यवस्थो के दोष अ डिगरी लैयो के छै

ऐंगनों के छै दोष, दोष नाचैयो के छै