भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ऐसा करें कि आप हमें भूल जाइये / पुष्पराज यादव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऐसा करें की आप हमें भूल जाइये
यूँ बोल-बोल कर न मेरा दिल दुखाइये

इस ना-मुराद शहर-ए-मुहब्बत को किसकी खैर
अब किससे रूठिये यहाँ किसको मनाइये

सखियो पिया मिलन की है ये पहली रैन सो
ढोलक बजाइये कि कोई गीत गाइये

ये नेल-पोलिशें ये लिपस्टिक ये बिंदियाँ
दीवाना मर ना जाये ज़रा कम लगाइये

कैसे तमाम उम्र जुदाई का दुख सहें
कैसे अंधेरी रात का बोझा उठाइये

ऐ पुष्पराज ज़िन्दगी जीना हुआ हराम
उठिये और अपनी मौत का हीला सुझाइये