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ओ बाबू जी मेरी कष्ट मजूरी दे दे / दयाचंद मायना
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ओ बाबू जी मेरी कष्ट मजूरी दे दे
बटवे मैं तै काढ़ नोट, बख्सीस जरूरी दे दे...टेक
हमनै भी अस्टेशन पै, कुलियों म्हं जीवन खो दिया
म्हारी हिम्मत देखै नै, तू पैसे देता रो दिया
तेरा कई मण पक्का बोझ ढो दिया,
मेहनत पूरी दे दे...
मन का साज बजा देंगे, हम खूंटी मरोड़ रेडियो मर्फी
तेरी दया तै खा लेंगे आज हम लाड्डू, पेड़े और बर्फी
काढ़ जेब तै मोहर, असरफी
भूरी-भूरी दे दे...
टाटा, बिरला, डालमिया तै, हम समझैं सैं बाध तनै
चोवे के मैं राखणी सै, इन गरीबां की फरियाद तनै
हाम रोज करैंगे याद तनै
चीज मसहूरी दे दे...
माणस नै तै समझाले, किस तरिया समझावै जिंद नै
थारे बिना और कूण काटै, गरीबां आले दुख के फंद नै
सतगुरु मुंशी ‘दयाचन्द’ नै
ज्ञान तजूरी दे दे...