भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ओ मृत्यु, सलाखें नीचे डाल दो / एमिली डिकिंसन
Kavita Kosh से
ओ मृत्यु, सलाखें नीचे डाल दो-
थके हुए झुंड अंदर आए हैं
जिनका बार-बार का मिमियाना बंद हो गया हैं
और जिनका भटकना खत्म
तुम्हारी रात सबसे नीरव है
तुम्हारा बाड़ा सबसे निरापद
तलाशो तो तुम बहुत क़रीब हो
और अभिव्यक्ति के परे नाज़ुक हो ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : क्रांति कनाटे