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औरत जानती है / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा

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आजकल मुझे
रोना बहुत आता है
आता तो रोने की बात पर ही है
पर जब आता है तब इतना
कि रोके नहीं रुकता है

और सब लोगों के बीच में आता है
लगता है जाने ये सब क्या सोच रहे होंगे
यह सोचकर फिर और ज्य़ादा आता है
रुकता तब है जब उसे रुकना होता है
एक औरत जब रोती है
तो एक वही कारण नहीं होता
जो दिखता है
बल्कि दूसरा कारण भी होता है
जो दिखने में नहीं आता है
वह आँसुओं में घुल मिलकर आता है

औरत जानती है अपने आँसू की कहानी
हर आँसू का कारण
पर वह कहती नहीं चुपचाप बहती है
और कभी-कभी इस बहाव को लिखती है
असल में वो जैसी होती है वैसी
अपने लेखन में उतरती है