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और बच्चा है अकेला / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र
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और है बच्चा
खड़ा चुपचाप
क्षीर-सागर के किनारे
वही तो वटपत्र पर लेटा हुआ
हँस रहा था कल
प्रलय की उस घड़ी में
बस एक ही था तत्त्व -
आदिम जल
और उसमें
हो चुके थे
अस्त सूरज-चाँद-तारे
वह अलौकिकता नहीं दिखती
जिसे इसने जिया था
वह समय ही और था
जब नेह में भीगा हर हिया था
तब नही थे
हर गली में
ये विषैले ताल खारे
घोर कलजुग आ चुका है
और बच्चा है अकेला
क्षीर-सागर में उसी ने
है ज़हर का जन्म झेला
ले गये अमृत असुर
मुँह ताकते ही
रह गये हैं देव सारे