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और भी हो गए बेगाना वो ग़फ़लत करके / हसरत मोहानी


और भी हो गए बेग़ाना वो गफ़लत करके
आज़माया जो उन्हें तर्के-मुहब्बत<ref >प्रेम का परित्याग</ref> करके

दिल ने छोड़ा है न छोड़े तेरे मिलने का ख़याल
बारहा<ref >कई बार</ref> देख लिया हमने मलामत<ref>निन्दा</ref> करके

रुह ने पाई है तकलीफ़े-जुदाई से निजात<ref >छुटकारा</ref>
आपकी याद को सरमाया-ए-राहत<ref >आराम की पूँजी,</ref> करके

छेड़ से अब वो ये कहते हैं कि सँभलो 'हसरत'
सब्रो-ताबे-दिल-बीमार<ref >प्रेमी हृदय की शक्ति और शान्ति</ref> को ग़ारत<ref>मिटा कर</ref> करके

शब्दार्थ
<references/>