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और मृत्यु का देव / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र

और...
मृत्यु का देव यहाँ भी आने वाला है
 
वही मृत्यु जो है
साँसों के सँग-सँग पली-पुसी
किसी अलौकिक कोने-अतरी में
वह रही घुसी
 
पड़ा रहा
आँखों के आगे भी तो जाला है
 
हमने देखा उसे गुज़रते
दूजों के घर से
रहे सोचते
निकल जायेगी ऊपर-ऊपर से
 
कब दस्तक दी उसने हमको
दिन अब काला है
 
हम चौंके थे
दस्तक अंदर से ही आई थी
वह तो वही साँस थी
जो अब तक मनभाई थी
 
अमृत-पीते
हमने तो विष भी पी डाला है