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कजली / 47 / प्रेमघन

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उर्दू भाषा


नई तरहदारी है यह, या नई सितमगारी है (जानी)
 (दिलबर!) लगी नई बतलाओ, किस से यारी ये जानी?
क्या ही सूरत प्यारी, उबलैं आँखें भरी खुमारी (जानी)
 (दिलबर!) नई जवानी की छाई सर्शारी (ये जानी)
है जोड़ा जं़गारी पर, यह आज तेज़ रफ्तारी जानी;
 (दिलबर!) किधर चले हो करने को अय्यारी? (ये जानी)
अजब प्रेमघन 'अब्र' हमें इस दिल से है लाचारी जानी;
 (दिलबर!) इसै जो है मंजू़र तेरी गम्ख़ारी (ये जानी) ॥83॥