ज्योतिषी सितारों ने फैला दीं
श्वेत चादरें
फूटी क़िस्मत वाले क्या करें ?
(जिए या मरें ?)
देह धरे कदली की रात,
सड़कों पर घूमती
दूध्या उजाले की प्यास
पंखुरियाँ चूमती
मछली-सी झूम-झूलतीं
कुहरे में झालरें
महँगी अस्मत वाले क्या करें ?
(जिए या मरें ?)