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कब तक / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा
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एक घाव दो घाव तीन घाव
कितने घाव
एक अपशब्द दो अपशब्द तीन अपशब्द
कितने अपशब्द
एक व्यंग्य दो व्यंग्य तीन व्यंग्य
कितने व्यंग्य कितना अपमान
आखिर कब तक
क्या तुम्हारे जैसी न हो जाऊँ तब तक?