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कभी निगाह में कोई सवाल था ही नहीं / अमित गोस्वामी

कभी निगाह में कोई सवाल था ही नहीं
जुदा भी होंगे, कभी ये ख़याल था ही नहीं

जो तू नहीं, तो तेरी याद साथ थी, कि मुझे
ये इम्तियाज़−ए−फ़िराक़−ओ−विसाल1 था ही नहीं

सभी थे अश्क फ़िशाँ2, सब के सब थे शिकवा ब लब
किसी में मेरी तरह ज़ब्त−ए−हाल था ही नहीं

ये मेरी ग़ज़लों की शोहरत, ये नाम, ये इनआम
तेरा जमाल था, मेरा कमाल था ही नहीं

थी ज़िन्दगी बड़ी हमवार, तुझसे पहले तक
ये मसअला−ए−उरूज−ओ−ज़वाल3 था ही नहीं


1. मिलन और जुदाई का भेद 2.आँसू बहाने वाले 3.उठने और गिरने की समस्या