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कमीज उनकी है लेकिन बदन हमारा है / जहीर कुरैशी
Kavita Kosh से
कमीज उनकी है लेकिन बदन हमारा है,
ये रूप रंग ये यौवन का धन हमारा है
गगन को बाँटने वालो,ये बात याद रखो—
धरा हमारी है, सारा गगन हमारा है!
हमें निभाना है ,हम ही निभाएँगे,साहब,
कभी जो हार गए थे वचन हमारा है
सुनो तुम्हारी तरह तो नहीं चलेगा ये
वो इस लिए कि गजलकार मन हमारा है
जो नफरतों को बढ़ाते हैं , अपने पास रखें
कहीं भी गाए, वो ‘ मेहदी हसन ’ हमारा है
जवाब ईंट का देते हैं लोग पत्थर से,
जवाब प्यार से देना, चलन हमारा है
जमीन ‘दाग’ की होगी हुआ करे, लेकिन
हमारे शेर हैं कहने का फन हमारा है.