करकै अफसोस चला, समाज की और चला / अमर सिंह छाछिया
करकै अफसोस चला, समाज की ओड़ चला।
न्यू देखा उनका हाल खुन्नां म्हं होरे सारे लाल।...टेक
ऐडी की झल गई चोटी म्हं जोश गात म्हं भरग्या।
बब्बर शेर खड़ा ललकारै वो टक्कर म्हं अड़ग्या।
विरोधियां के देखदिये इसा नाग सा लड़ग्या।
कोए खड़ा सामने देख रहा कोए भीतर बड़ग्या।
गिरफ्तार कराऊं चलाण कटाऊ रमान्ड तै उतरै इनकी खाल।
जैसा कर्म करै बंदा उसा ऐ फल पावैगा।
छल कपटी बेईमानां वो चोड़ै ए आवैगा।
झूठ बोल कै करै बात उसका चेहरा मुरझावैगा।
वो छिपाये तै ना छिपै सचाई वो हंसदा आवैगा।
जैसा कर्या वैसा भर्या बुरा करणिया नहीं होवै बहाल
ऐके दिन जन्मै बंदा और ऐके दिन मरणा सै।
जद सर के ऊपर आकै बाजै फेर जी कै के करणा सै।
बी.एस.पी. तै देओ वोट जै थामनै जीणा सै।
यो इन्साफ तै भाइयो थमनै ए करणा सै।
बी.एस.पी. का इशारा, इबकै इनका सफाया, मार्या करकै घाल
घर पै अटैक करा इसनै के बसेबा थारा सै।
ईंट का जवाब देवै पत्थर जै थामनै जीणा सै।
मुंह तोड़ देवै जवाब यो ए मेरा कहणा सै।
भाई-भाई सभी एक मिलकै ए रहणा सै।
अमरसिंह सही बतावै फूट या नाश करावै थामनै करा नहीं ख्याल...