भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

करता तुम्हें प्रणाम भक्ति से / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(राग ईमन-ताल कहरवा)

करता तुहें प्रणाम भक्ति से ऋञ्द्धि-सिद्धिदायक गणनाथ।
 रहे तुहारी कृपा विघ्रहारिणि सुख-कारिणि मेरे साथ॥
 रहे सदा मेरे मस्तकपर वरद तुहारा गणपति हाथ।
 पागाएँ भक्ति राधिकाजीकी,गाएँ उनकी नित गुण-गाथ॥