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करोटन में आए हैं फूल / केदारनाथ अग्रवाल
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करोटन में आए हैं फूल
जीवन हुआ अनुकूल;
करोटन
खुश-खुश खड़ा है
आँगन में।
निछावर में आए हैं शूल,
जीवन हुआ प्रतिकूल;
अनफूला
खड़ा है बबूल
निर्जन में।
मैं हूँ
करोटन आँगन का,
फूला खड़ा अनुकूल।
मैं हूँ
बबूल निर्जन का,
अनफूला खड़ा प्रतिकूल।
रचनाकाल: १२-०३-१९७९