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कवितावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 26
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 भाग-6 लंका काण्ड प्रारंभ 
( राक्षसों की चिंता )
 बड़े बिकराल भालु- बानर बिसाल बड़े, 
‘तुलसी’ बड़े पहार लै पयोधि तोपिहैं।
 प्रबल प्रचंड बरिबंड बाहुदंड खंडि ।
मंडि मेदिनी को मंडलीक-नीक लोपिहैं।। 
लंकदाहु देखें न उछाहु रह्यो काहुन को, 
कहैं सब सचिव पुकारि पाँव रोपिहैं ।। 
बाँचिहै न पाछैं तिपुरारिहू मुरारिहू  के, 
को है रन रारिको जौं कोसलेस कोपिहैं।1। 
 
	
	

