कविता कोश के चार वर्ष
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जुलाई 05, 2010 | |||||||||||||||||||||||||||
आज हम कविता कोश की स्थापना का चौथा वर्ष पूरा कर रहे हैं। हिन्दी काव्य का यह ऑनलाइन कोश इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण है सामूहिक प्रयासों द्वारा किसी भी कठिन और विशाल लक्ष्य को पाया जा सकता है। कविता कोश साहित्य के भविष्य का भी दर्पण है। इस कोश में संकलन के द्वारा ना केवल दुर्लभ और लुप्त होती कृतियों को बचाया जा रहा है बल्कि ये कृतियाँ सर्व-सुलभ भी हो रही हैं। रचनाकार कविता कोश में अपनी रचनाओं के संकलन के बाद संतुष्टि का अनुभव करते है कि उनकी रचनाएँ समस्त विश्व में पढी़ जा सकती हैं और सुरक्षित व सुसंकलित हैं। इस तीसरे वर्ष में भी कोश तीव्र गति से आगे बढा़। इसी प्रगति की संक्षिप्त जानकारी नीचे दी जा रही है।
आंकडो़ की नज़र से
प्रमुख योगदानकर्ताकविता कोश के विकास में हाथ बंटाने के उद्देश्य से कोश से जुड़ने वाले योगदानकर्ताओं की संख्या इस वर्ष भी निरंतर बढ़ती रही। साथ ही पुराने योगदानकर्ताओं ने भी अपना योगदान बनाये रखा। इस वर्ष कविता कोश टीम में संपादक श्री अनिल जनविजय ने सर्वाधिक योगदान करते हुए कोश में 10,000 पन्नें बनाने का आंकडा पार कर लिया। कोश से नए जुड़े कर्मठ योगदानकर्ता धर्मेंद्र कुमार सिंह ने तेज़ी से योगदान करते हुए 3000 से अधिक पन्नों का निर्माण किया। कविता कोश टीम के सदस्य श्री द्विजेन्द्र 'द्विज' ने ग़ज़ल और नज़्म विधा की रचनाओं को जोड़ने और उर्दू के कठिन शब्दों के अर्थ कोश में शामिल करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। प्रसिद्ध ग़ज़लकारा श्रद्धा जैन अपने पिछले वर्ष के सक्रिय योगदान को आगे बढ़ाते हुए कोश में 1000 पन्नें जोड़ने वाली सातवीं योगदानकर्ता बनीं। अन्य प्रमुख योगदानकर्ताओं में प्रदीप जिलवाने, विभा झलानी, हिमांशु पाण्डेय, राजीव रंजन प्रसाद, अजय यादव, संदीप कौर सेठी, मुकेश मानस, नीरज दइया और वीनस केशरी के नाम शामिल हैं। नित नये योगदानकर्ताओं के कोश से जुड़ने का सिलसिला बदस्तूर ज़ारी है। इन सभी योगदानकर्ताओं के श्रम के कारण ही आज कविता कोश अपने वर्तमान स्वरूप को पा सका है। आप भी कोश के विकास दे सकते हैं -इसके लिये नये आगंतुकों का स्वागत देंखें। नए प्रयासइस वर्ष कविता कोश टीम ने कोश को और अधिक उन्नत और सुरुचिपूर्ण बनाने के उद्देश्य से कई नए प्रयास आरंभ किए हैं। अब आप बहुत-सी काव्य रचनाओं के पाठ का <ext>http://www.kavitakosh.org/video::वीडियो</ext> भी कोश में देख सकते हैं। इसी तरह का ऑडियो विभाग भी बन चुका है जिसे शीघ्र ही आपके समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। कविता कोश के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देने वाली एक पुस्तक भी प्रकाशित कराने की कोशिशे चल रही हैं। इसके अलावा एक अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रादेशिक कविता कोशों का निर्माण कार्य भी आरम्भ कर दिया गया है। इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के कविता कोशों से की गई है। हर प्रदेश के लिये कविता कोश का एक प्रादेशिक प्रतिनिधि भी बनाया जाएगा। श्री प्रेमचंद गांधी को राजस्थान के लिये कविता कोश का पहला प्रदेश प्रतिनिधि चुना गया है। सोशल नेटवर्किंग साइट फ़ेसबुक पर भी कविता कोश का अकाउंट खोला गया है और इसे काफ़ी अच्छी प्रतिक्रिया भी मिली है। इस समय करीब 3900 व्यक्ति फ़ेसबुक के ज़रिये कविता कोश से जुड़े हैं। भावी योजनाएँहिन्दी के अलावा अन्य भाषाओं के काव्य को कविता कोश में समेटने की योजना को पाँचवे वर्ष में अमली जामा पहनाने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा कविता कोश के बारे में उन लोगो तक भी जानकारी पँहुचाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जो इंटरनेट का प्रयोग नहीं करते हैं। प्रस्तुति |