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कविता भूँजी जाती है / द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
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यहाँ शक्ति पूजी जाती है।
उसके ही स्वागत-वंदन में
उसके अर्चन-अभिनंदन में
कविता तो भूँजी जाती है।
यहाँ शक्ति पूजी जाती है।1।
सिंहासन होता सिंहों का
या होता वह नर-सिंहों का
नर की तो बलि दी जाती है।
यहाँ शक्ति पूजी जाती है।2।
यहाँ पुण्य मिलते पापों को
गले लगाते शिव साँपों को
सती अपर्णा रह जाती है।
यहाँ शक्ति पूजी जाती है।3।
राज बनाते राज महल हैं
राज बनाते ताज महल हैं
श्रेय राजाशाही पाती है।
यहाँ शक्ति पूजी जाती है।4।