भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कहाँ तक मेरा साथ दोगे बताओ / डी. एम. मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कहाँ तक मेरा साथ दोगे बताओ
मेरे साथ चलते रहोगे बताओ

तुम्हारे लिए लिख रहा हूँ ग़ज़ल मैं
इसे तुम भी लेकिन पढ़ोगे बताओ

सियासत हमें बाँटने पर तुली है
मगर तुम जु़दा तो न होगे बताओ

रिवाज़ों के बंधन में हम-तुम बँधे क्यों
मेरे संग बग़ावत करोगे बताओ

यही प्रश्न अब सामने है तुम्हारे
उसूलों पे क्या मर मिटोगे बताओ

ज़माना बुरा है ये माना मगर क्या
बदलने की कोशिश करोगे बताओ