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कहानी में ज़िन्दगी: एक / शरद कोकास
Kavita Kosh से
मेरी कहानी के पात्रों में
तुम्हें अपनी समूची ज़िन्दगी नहीं मिलेगी
मिलेंगे ज़रूर ज़िन्दगी के टुकड़े
कुछ उस तरह
जैसे बच्चे बनाते हैं
हाथी-घोउ़े के चित्र
टुकड़े-टुकड़े जोड़कर
एक टुकड़ा भी गुम हो जाए तो
पूरा नहीं हो सकता चित्र
मेरी कहानी के पात्रों में
ज़िन्दगी ढूँढना
बच्चों का खेल नहीं है।
-1996