काबिल के कहल कखनियो न करलक
करलक कहल हमेशा ज्ञान हीन के
सनकी शराब के सवार भेल सीर पर
अपना के शाह बुझलक दीन-हीन के
दीन-हीन दारू पी के दहारै दवंग सन
देह नै सम्हार में बढ़ावै डेग गीन के
भनत विजेता बस एक चूरू दारू लेली
मनुष के तन, मन जल हीन मीन के
काबिल के कहल कखनियो न करलक
करलक कहल हमेशा ज्ञान हीन के
सनकी शराब के सवार भेल सीर पर
अपना के शाह बुझलक दीन-हीन के
दीन-हीन दारू पी के दहारै दवंग सन
देह नै सम्हार में बढ़ावै डेग गीन के
भनत विजेता बस एक चूरू दारू लेली
मनुष के तन, मन जल हीन मीन के